बैंक डूबने या बंद होने पर ग्राहकों को अब इतना पैसा मिलेगा वापस, जानिये RBI के नियम RBI Rule 2025

By Meera Sharma

Published On:

RBI Rule 2025

RBI Rule 2025: भारत में करोड़ों लोग अपनी मेहनत की कमाई बैंक खातों में जमा करते हैं। यह एक सामान्य और सुरक्षित प्रथा मानी जाती है क्योंकि बैंक से बेहतर विकल्प कम ही होते हैं। हालांकि, कभी-कभार मन में यह सवाल उठता है कि यदि बैंक ही दिवालिया हो जाए या बंद हो जाए तो हमारे जमा किए गए रुपयों का क्या होगा। यह चिंता स्वाभाविक है क्योंकि आर्थिक अनिश्चितता के इस दौर में कोई भी संस्था पूर्णतः सुरक्षित नहीं कही जा सकती। इसी चिंता को दूर करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने जमाकर्ताओं के हितों की सुरक्षा के लिए व्यापक नीति बनाई है।

बैंकिंग प्रणाली की विश्वसनीयता बनाए रखना आरबीआई की प्राथमिकता है। जब लोगों का भरोसा बैंकों पर से उठ जाता है तो पूरी अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है। इसलिए केंद्रीय बैंक ने एक मजबूत सुरक्षा तंत्र विकसित किया है जो ग्राहकों को आश्वस्त करता है कि उनके पैसे सुरक्षित हैं। यह व्यवस्था न केवल व्यक्तिगत जमाकर्ताओं की सुरक्षा करती है बल्कि समग्र वित्तीय स्थिरता में भी योगदान देती है।

डीआईसीजीसी की भूमिका और कार्यप्रणाली

यह भी पढ़े:
Retirement Age केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर, रिटायरमेंट की उम्र में बदलाव पर सरकार का आया जवाब।। Retirement Age

डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन यानी डीआईसीजीसी आरबीआई के अधीन काम करने वाली एक विशेष संस्था है। यह संस्था बैंक जमा बीमा योजना का संचालन करती है और बैंक फेल होने की स्थिति में जमाकर्ताओं को मुआवजा प्रदान करती है। डीआईसीजीसी की स्थापना 1978 में हुई थी और तब से यह भारतीय बैंकिंग प्रणाली का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बनी हुई है। इस संस्था का मुख्य उद्देश्य छोटे जमाकर्ताओं की सुरक्षा करना है जो बैंक की वित्तीय स्थिति की जटिलताओं को समझने में असमर्थ होते हैं।

डीआईसीजीसी सभी वाणिज्यिक बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंकों से प्रीमियम वसूलती है। यह प्रीमियम बैंकों की जमा राशि के एक निश्चित प्रतिशत के आधार पर तय किया जाता है। जब कोई बैंक दिवालिया हो जाता है या आरबीआई द्वारा इसका लाइसेंस रद्द कर दिया जाता है, तब डीआईसीजीसी की जिम्मेदारी शुरू होती है। यह संस्था प्रभावित ग्राहकों की सूची तैयार करके उन्हें निर्धारित राशि का भुगतान करती है।

पांच लाख रुपये की बीमा राशि

यह भी पढ़े:
Free Silai Machine Apply सभी महिलाओं को मिलेगी फ्री सिलाई मशीन, ऐसे करें आवेदन Free Silai Machine Apply

वर्तमान में डीआईसीजीसी प्रत्येक जमाकर्ता के लिए अधिकतम पांच लाख रुपये तक का बीमा कवर प्रदान करती है। यह राशि पहले एक लाख रुपये थी लेकिन बढ़ती महंगाई और जमाकर्ताओं की बेहतर सुरक्षा के लिए इसे बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दिया गया। इस नीति के अनुसार यदि आपके बैंक खाते में पांच लाख रुपये या उससे कम राशि जमा है तो बैंक डूबने की स्थिति में आपको पूरी राशि वापस मिल जाएगी। हालांकि, यदि आपके खाते में पांच लाख से अधिक राशि है तो आपको केवल पांच लाख रुपये ही मिलेंगे।

यह बीमा कवर सभी प्रकार की जमा राशि पर लागू होता है चाहे वह बचत खाता हो, चालू खाता हो या फिक्स्ड डिपॉजिट हो। यहां तक कि आवर्ती जमा खाते भी इस बीमा के दायरे में आते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि यह राशि प्रत्येक बैंक के लिए अलग से मिलती है, न कि प्रत्येक खाते के लिए। इसका अर्थ यह है कि यदि आपके एक ही बैंक में कई खाते हैं तो सभी को मिलाकर अधिकतम पांच लाख रुपये ही मिलेंगे।

एक बैंक की विभिन्न शाखाओं में जमा राशि

यह भी पढ़े:
Gold Rate अगस्त सितंबर तक इस भाव पर मिलेगा 1 तोला सोना Gold Rate

कई लोग सुविधा के लिए एक ही बैंक की अलग-अलग शाखाओं में खाते खुलवाते हैं। कुछ लोग अलग-अलग शहरों में रहने के कारण भी ऐसा करते हैं। हालांकि, डीआईसीजीसी के नियमों के अनुसार एक ही बैंक की सभी शाखाओं में जमा राशि को एक ही माना जाता है। इसका मतलब यह है कि चाहे आपके पास एसबीआई की दिल्ली शाखा में खाता हो या मुंबई शाखा में, दोनों को मिलाकर अधिकतम पांच लाख रुपये ही बीमा के रूप में मिलेंगे। यह नियम फिक्स्ड डिपॉजिट और अन्य सभी प्रकार की जमा राशि पर भी लागू होता है।

इसलिए यदि आप अधिक राशि रखना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि आप अलग-अलग बैंकों में खाते खुलवाएं। उदाहरण के लिए, यदि आपके पास दस लाख रुपये हैं तो आप इसे दो अलग बैंकों में पांच-पांच लाख करके रख सकते हैं। इससे दोनों बैंकों से पूरी राशि का बीमा कवर मिल जाएगा। यह रणनीति बड़ी मात्रा में नकदी रखने वाले लोगों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है।

अलग-अलग बैंकों में जमा राशि के फायदे

यह भी पढ़े:
Ladli Behna Awas Yojana List लाडली बहना आवास योजना की नई लिस्ट जारी Ladli Behna Awas Yojana List

यदि आपके अलग-अलग बैंकों में खाते हैं तो प्रत्येक बैंक से अलग से पांच लाख रुपये तक का बीमा कवर मिलता है। उदाहरण के लिए, यदि आपका एसबीआई में पांच लाख और एचडीएफसी बैंक में पांच लाख रुपये है तो कुल दस लाख रुपये का बीमा कवर मिलेगा। यह इसलिए संभव है क्योंकि प्रत्येक बैंक अलग-अलग डीआईसीजीसी से प्रीमियम का भुगतान करता है। व्यावहारिक रूप से एक साथ दो बैंकों के डूबने की संभावना भी बहुत कम होती है।

यह व्यवस्था जोखिम प्रबंधन की दृष्टि से भी बेहतर है। अगर एक बैंक में कोई समस्या आती है तो दूसरे बैंक से आप अपना काम चला सकते हैं। इसके अलावा अलग-अलग बैंकों की अलग-अलग सेवाएं और सुविधाएं भी होती हैं जिनका फायदा उठाया जा सकता है। हालांकि, कई खाते मेंटेन करना थोड़ा झंझट भरा हो सकता है लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से यह बेहतर विकल्प है।

सहकारी समितियों की अलग स्थिति

यह भी पढ़े:
RBI New Updates RBI New Updates: गोल्ड लोन लेने वालों को RBI ने दी बड़ी राहत, नए नियम हुए लागू

डीआईसीजीसी का बीमा कवर सभी प्रकार के बैंकों पर लागू नहीं होता। सहकारी समितियों में जमा राशि इस बीमा योजना के दायरे में नहीं आती है। यह एक महत्वपूर्ण अंतर है जिसे समझना जरूरी है। कई लोग सहकारी समितियों में अधिक ब्याज के लालच में पैसा जमा करते हैं लेकिन यह जोखिम भरा हो सकता है। सहकारी समितियों की वित्तीय स्थिति की निगरानी भी उतनी कड़ी नहीं होती जितनी कि वाणिज्यिक बैंकों की होती है।

हालांकि, कुछ राज्य सरकारें अपनी सहकारी समितियों के लिए अलग से बीमा योजनाएं चलाती हैं। फिर भी, यह कवरेज डीआईसीजीसी की तरह व्यापक और विश्वसनीय नहीं होता। इसलिए सहकारी समितियों में निवेश करते समय अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। उनकी वित्तीय स्थिति, प्रबंधन की गुणवत्ता और नियामक अनुपालन की जांच करना आवश्यक है।

भविष्य की संभावनाएं और सुझाव

यह भी पढ़े:
Toll Tax अब किलोमीटर के हिसाब से देना होगा टोल टैक्स, जानिए कब से लागू होगी नई टोल टैक्स पॉलिसी Toll Tax

भारतीय बैंकिंग प्रणाली लगातार मजबूत हो रही है और बैंक फेल होने की घटनाएं बहुत कम हो गई हैं। आरबीआई की सख्त निगरानी और नियामक ढांचे के कारण बैंकों की वित्तीय स्थिति पहले से काफी बेहतर है। फिर भी, सावधानी के तौर पर जमाकर्ताओं को डीआईसीजीसी के नियमों की जानकारी रखनी चाहिए। यदि आपके पास बड़ी मात्रा में नकदी है तो इसे अलग-अलग बैंकों में बांटकर रखना बुद्धिमानी है।

भविष्य में डीआईसीजीसी की बीमा राशि और भी बढ़ाई जा सकती है। कई विकसित देशों में यह राशि काफी अधिक है। भारत में भी महंगाई और बढ़ती आय के साथ इस राशि में वृद्धि की मांग होती रहती है। तब तक के लिए मौजूदा नियमों को समझकर अपनी वित्तीय योजना बनाना समझदारी है।

Disclaimer

यह भी पढ़े:
RBI Home Loan Update RBI Home Loan Update: RBI का बड़ा फैसला, अब ये बैंक दे रहे हैं सस्ता होम लोन

यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। डीआईसीजीसी के नियम समय-समय पर बदल सकते हैं। सटीक और नवीनतम जानकारी के लिए आरबीआई की आधिकारिक वेबसाइट या अपने बैंक से संपर्क करें। निवेश संबंधी किसी भी निर्णय से पहले योग्य वित्तीय सलाहकार से परामर्श लेना उचित होगा।

Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

Leave a Comment

Join Whatsapp Group