Personal Loan: आज के दौर में बैंक लोन हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है और लोग अपनी विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए विभिन्न प्रकार के लोन का सहारा ले रहे हैं। घर खरीदने के लिए होम लोन, वाहन खरीदने के लिए कार लोन और तत्काल वित्तीय जरूरतों के लिए पर्सनल लोन का चलन तेजी से बढ़ा है। यह प्रवृत्ति लोगों को अपने सपनों को तुरंत साकार करने में मदद कर रही है लेकिन साथ ही कई वित्तीय चुनौतियां भी पैदा कर रही है। पर्सनल लोन की लोकप्रियता का मुख्य कारण इसकी आसान उपलब्धता और न्यूनतम दस्तावेजी आवश्यकताएं हैं। हालांकि इसकी सुविधा के साथ-साथ कुछ गंभीर नकारात्मक पहलू भी हैं जिन्हें समझना अत्यंत आवश्यक है।
पर्सनल लोन की महंगी वास्तविकता
पर्सनल लोन की सबसे बड़ी कमी इसकी अत्यधिक ऊंची ब्याज दरें हैं जो इसे अन्य सभी प्रकार के लोन की तुलना में सबसे महंगा विकल्प बनाती हैं। जहां होम लोन पर 8 से 10 प्रतिशत और कार लोन पर 9 से 12 प्रतिशत तक ब्याज दर मिलती है वहीं पर्सनल लोन पर 12 से 24 प्रतिशत तक की ब्याज दर चुकानी पड़ती है। यह अंतर इसलिए है क्योंकि पर्सनल लोन एक असुरक्षित लोन है जिसमें कोई गिरवी या जमानत नहीं होती। बैंक के लिए यह एक जोखिम भरा निवेश है इसलिए वे अधिक ब्याज दर वसूलते हैं। इसके अतिरिक्त प्रोसेसिंग फीस, प्री-पेमेंट चार्ज, लेट पेमेंट पेनल्टी और अन्य छुपे हुए शुल्क भी इसकी वास्तविक लागत को काफी बढ़ा देते हैं।
कर लाभ का अभाव और वित्तीय बोझ
पर्सनल लोन का एक और नुकसान यह है कि इस पर किसी भी प्रकार की कर छूट नहीं मिलती जबकि होम लोन और एजुकेशन लोन पर आयकर अधिनियम के तहत ब्याज की राशि पर कर छूट का लाभ उठाया जा सकता है। यह स्थिति पर्सनल लोन को और भी महंगा बना देती है क्योंकि आपको पूरी ब्याज राशि अपनी जेब से चुकानी पड़ती है। उदाहरण के लिए यदि आप 5 लाख रुपये का पर्सनल लोन 18 प्रतिशत ब्याज दर पर 5 साल के लिए लेते हैं तो आपकी मासिक EMI लगभग 12,700 रुपये होगी और कुल चुकाई जाने वाली राशि 7.62 लाख रुपये होगी। इसका अर्थ यह है कि आपको मूल राशि से 2.62 लाख रुपये अधिक चुकाना पड़ेगा जो एक बहुत बड़ी राशि है।
छोटी अवधि से बढ़ने वाला दबाव
पर्सनल लोन की दूसरी महत्वपूर्ण समस्या इसकी अपेक्षाकृत छोटी चुकौती अवधि है जो आमतौर पर 1 से 5 साल तक होती है। होम लोन जहां 20 से 30 साल की लंबी अवधि के लिए मिलता है वहीं पर्सनल लोन की छोटी अवधि के कारण मासिक EMI काफी अधिक हो जाती है। इससे आपके मासिक बजट पर भारी दबाव पड़ता है और वित्तीय तनाव बढ़ जाता है। छोटी अवधि का मतलब यह भी है कि आपको जल्दी-जल्दी बड़ी मात्रा में पैसा चुकाना पड़ता है जो आपकी अन्य वित्तीय जरूरतों को प्रभावित कर सकता है। कई बार लोग EMI का बोझ उठाने में असमर्थ हो जाते हैं और फिर अतिरिक्त शुल्क और पेनल्टी का सामना करना पड़ता है।
क्रेडिट स्कोर पर गंभीर प्रभाव
पर्सनल लोन का तीसरा और सबसे गंभीर नुकसान आपके क्रेडिट स्कोर पर पड़ने वाला प्रभाव है। यदि आप समय पर EMI नहीं चुका पाते हैं तो आपका सिबिल स्कोर गिरना शुरू हो जाता है जो भविष्य में किसी भी प्रकार का लोन लेने में बाधा बन सकता है। क्रेडिट स्कोर 750 से ऊपर को अच्छा माना जाता है लेकिन देर से EMI चुकाने या मिस करने से यह तेजी से गिरता जाता है। एक बार खराब हुआ क्रेडिट स्कोर सुधारने में कई साल लग सकते हैं और इस दौरान आपको किसी भी बैंक से लोन मिलना मुश्किल हो जाता है। यहां तक कि क्रेडिट कार्ड भी मिलना कठिन हो जाता है जो आधुनिक जीवन में एक बड़ी समस्या है।
वैकल्पिक विकल्पों की तलाश
पर्सनल लोन लेने से पहले अन्य वैकल्पिक विकल्पों पर भी विचार करना चाहिए जो अधिक किफायती हो सकते हैं। यदि आपके पास सोना है तो गोल्ड लोन एक बेहतर विकल्प हो सकता है क्योंकि इसकी ब्याज दरें पर्सनल लोन से कम होती हैं। फिक्स्ड डिपॉजिट के विरुद्ध लोन भी एक अच्छा विकल्प है जिसमें आपका FD जमानत के रूप में रहता है और ब्याज दर काफी कम होती है। यदि आप सरकारी कर्मचारी हैं तो PPF या GPF के विरुद्ध एडवांस लेना भी बेहतर हो सकता है। क्रेडिट कार्ड से कैश एडवांस भी एक विकल्प है लेकिन यह केवल बहुत छोटी अवधि के लिए उपयुक्त है।
सही निर्णय लेने के लिए सुझाव
पर्सनल लोन लेने से पहले अपनी वित्तीय स्थिति का गहराई से विश्लेषण करें और यह सुनिश्चित करें कि आप EMI चुकाने में सक्षम हैं। अपनी मासिक आय का 40 प्रतिशत से अधिक EMI में न जाने दें वरना आपकी दैनिक जरूरतें प्रभावित हो सकती हैं। विभिन्न बैंकों की ब्याज दरों की तुलना करें और सबसे कम ब्याज दर वाले बैंक का चुनाव करें। प्रोसेसिंग फीस और अन्य छुपे हुए शुल्कों के बारे में भी पूरी जानकारी लें। लोन एग्रीमेंट को ध्यान से पढ़ें और सभी नियम-शर्तों को समझें। यदि संभव हो तो किसी वित्तीय सलाहकार से भी परामर्श लें।
इमरजेंसी फंड की महत्वता
पर्सनल लोन की आवश्यकता को कम करने के लिए एक इमरजेंसी फंड बनाना अत्यंत आवश्यक है। आपके पास कम से कम 6 महीने के खर्च के बराबर राशि इमरजेंसी फंड में होनी चाहिए। यह फंड आपको अचानक आने वाली वित्तीय जरूरतों के लिए महंगे पर्सनल लोन लेने से बचा सकता है। इमरजेंसी फंड को लिक्विड फंड या सेविंग अकाउंट में रखें ताकि जरूरत पड़ने पर तुरंत इस्तेमाल किया जा सके। नियमित रूप से हर महीने एक निश्चित राशि इमरजेंसी फंड में जमा करते रहें ताकि यह धीरे-धीरे बढ़ता रहे।
समझदारी से लें वित्तीय निर्णय
पर्सनल लोन एक आपातकालीन विकल्प है जिसका उपयोग केवल अत्यंत आवश्यक परिस्थितियों में ही करना चाहिए। इसका उपयोग शादी-विवाह, छुट्टियों या लाइफस्टाइल के लिए करना वित्तीय रूप से हानिकारक हो सकता है। यदि आपको पर्सनल लोन लेना ही पड़े तो जितनी जल्दी हो सके उसे चुका दें ताकि ब्याज का बोझ कम हो। प्री-पेमेंट चार्ज होने पर भी यदि आपके पास अतिरिक्त पैसा हो तो लोन को जल्दी बंद कर दें। वित्तीय अनुशासन बनाए रखें और भविष्य में ऐसी स्थिति न आने दें जहां महंगे लोन लेने पड़ें।
Disclaimer
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है और व्यक्तिगत वित्तीय सलाह का विकल्प नहीं है। पर्सनल लोन की ब्याज दरें, नियम और शर्तें विभिन्न बैंकों में अलग-अलग हो सकती हैं और ये समय-समय पर बदलती रहती हैं। कोई भी लोन लेने से पहले संबंधित बैंक से नवीनतम जानकारी प्राप्त करें और सभी नियम-शर्तों को ध्यान से पढ़ें। व्यक्तिगत वित्तीय स्थिति के आधार पर निर्णय लें और यदि आवश्यक हो तो योग्य वित्तीय सलाहकार से परामर्श लें। लेखक या प्रकाशक किसी भी वित्तीय निर्णय के परिणामों के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।