आपकी इन 4 ट्रांजेक्शन पर इनकम टैक्स विभाग रखता है पैन्नी नजर, तुरंत भेज देगा नोटिस Income Tax

By Meera Sharma

Published On:

Income Tax

Income Tax: आज के डिजिटल युग में अधिकांश लोग छोटे से लेकर बड़े तक के सभी भुगतान ऑनलाइन करना पसंद करते हैं। UPI, नेट बैंकिंग, क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड के माध्यम से लेनदेन की सुविधा ने वित्तीय व्यवहार को पूरी तरह से बदल दिया है। लेकिन इसके विपरीत कुछ लोग अभी भी कैश ट्रांजैक्शन को प्राथमिकता देते हैं। इनमें से कई लोगों का मानना है कि नकदी में लेनदेन करने से वे आयकर विभाग की निगरानी से बच सकते हैं। यह एक गलत धारणा है क्योंकि आधुनिक निगरानी प्रणाली में बड़े कैश ट्रांजैक्शन भी आसानी से पकड़े जा सकते हैं।

वास्तविकता यह है कि आयकर विभाग के पास एक अत्यधिक परिष्कृत निगरानी प्रणाली है जो विभिन्न प्रकार के वित्तीय लेनदेन पर नजर रखती है। चाहे आप डिजिटल माध्यम से पेमेंट करें या कैश में, बड़ी राशि के लेनदेन हमेशा विभाग के रडार पर होते हैं। CBDT के नियमों के अनुसार बैंक, वित्तीय संस्थान और अन्य एजेंसियां नियमित रूप से बड़े लेनदेन की जानकारी आयकर विभाग को भेजती रहती हैं। इसलिए यह सोचना कि कैश ट्रांजैक्शन से बचा जा सकता है, एक भ्रम मात्र है। जो लोग इस भ्रम में रहते हैं उन्हें अचानक से नोटिस मिलने पर बड़ा झटका लगता है।

बैंक खातों में कैश जमा पर सख्त नियम

यह भी पढ़े:
BED Course Good News अब B.Ed से बन सकेंगे प्राथमिक शिक्षक, NCTE ने दी मंजूरी BED Course Good News

Central Board of Direct Taxes (CBDT) के नियमों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति एक वित्तीय वर्ष में कुल मिलाकर 10 लाख रुपए या उससे अधिक की नकदी अपने बैंक खाते या खातों में जमा करता है तो उसे आयकर विभाग को इसकी सूचना देनी होती है। यह नियम चाहे आप एक ही खाते में यह राशि जमा करें या कई अलग-अलग खातों में छोटी-छोटी राशि जमा करें, दोनों स्थितियों में लागू होता है। विभाग के पास सभी बैंकों से मिलने वाला डेटा होता है जो सभी खातों को ट्रैक करता रहता है।

यदि कोई व्यक्ति इस जानकारी को छुपाने की कोशिश करता है या गलत जानकारी देता है तो आयकर विभाग उसे नोटिस भेज सकता है। इस नोटिस में व्यक्ति से पूछा जाता है कि जमा की गई राशि का स्रोत क्या है और क्या इस पर उचित कर का भुगतान किया गया है। यदि व्यक्ति संतोषजनक जवाब नहीं दे पाता तो उसे अतिरिक्त कर, ब्याज और जुर्माना भरना पड़ सकता है। इसलिए बड़ी राशि जमा करते समय हमेशा उसके वैध स्रोत का प्रमाण रखना आवश्यक है। सैलरी, बिजनेस इनकम, प्रॉपर्टी सेल या अन्य वैध स्रोतों से आई राशि का उचित दस्तावेजीकरण रखना चाहिए।

फिक्स्ड डिपॉजिट और निवेश पर निगरानी

यह भी पढ़े:
Fitment Factor Hike 1 करोड़ से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए बड़ी खुशखबरी, सैलरी होगी डबल Fitment Factor Hike

वित्तीय संस्थानों में बड़ी राशि का निवेश भी आयकर विभाग की निगरानी में आता है। यदि कोई व्यक्ति 1 लाख रुपए या उससे अधिक की राशि से नकदी में फिक्स्ड डिपॉजिट करवाता है तो बैंक इसकी जानकारी आयकर विभाग को देता है। यह नियम इसलिए बनाया गया है क्योंकि अक्सर लोग अपनी अघोषित आय को FD के रूप में निवेश करके उसे वैध बनाने की कोशिश करते हैं। आयकर विभाग ऐसे निवेश की जांच करके यह सुनिश्चित करता है कि निवेश की गई राशि किसी वैध स्रोत से आई है।

FD करवाते समय व्यक्ति को PAN कार्ड देना होता है और बैंक इस जानकारी को आयकर डेटाबेस से मैच करता है। यदि व्यक्ति की घोषित आय के मुकाबले निवेश अधिक है तो यह संदिग्ध माना जाता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को नोटिस मिल सकता है और उसे अपनी आय के स्रोत का स्पष्टीकरण देना पड़ सकता है। इसके अलावा म्यूचुअल फंड, शेयर, बॉन्ड और अन्य निवेश विकल्पों में भी बड़ी राशि के निवेश पर नजर रखी जाती है। सभी वित्तीय संस्थान नियमित रूप से बड़े निवेश की जानकारी कर विभाग को भेजते रहते हैं।

प्रॉपर्टी खरीदारी में कैश पेमेंट के नियम

यह भी पढ़े:
Ration Card Update राशन कार्ड धारकों को बल्ले-बल्ले अब फ्री गेहूं, चावल, बाजरा और चीनी मिलेंगे नया लिस्ट जारी | Ration Card Update

रियल एस्टेट की खरीदारी में कैश पेमेंट पर आयकर विभाग की विशेष निगरानी होती है। यदि कोई व्यक्ति संपत्ति खरीदते समय 30 लाख रुपए या उससे अधिक का नकद भुगतान करता है तो प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार इसकी जानकारी आयकर विभाग को देने के लिए बाध्य है। यह नियम इसलिए बनाया गया है क्योंकि प्रॉपर्टी सेक्टर में काले धन का बड़ा उपयोग होता है और लोग बड़ी मात्रा में कैश पेमेंट करके अपनी अघोषित आय को वैध संपत्ति में बदलने की कोशिश करते हैं।

प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के दौरान खरीदार को यह घोषणा करनी होती है कि भुगतान किस माध्यम से किया गया है। यदि 30 लाख से अधिक कैश पेमेंट है तो इसकी अलग से रिपोर्ट करनी होती है। आयकर विभाग इस जानकारी के आधार पर खरीदार की आय का सत्यापन करता है। यदि व्यक्ति की घोषित आय के अनुपात में प्रॉपर्टी की कीमत अधिक है तो इसे संदिग्ध माना जाता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को अपनी आय के स्रोत का प्रमाण देना पड़ता है। बेनामी प्रॉपर्टी एक्ट के तहत संदिग्ध लेनदेन की जांच भी की जा सकती है।

क्रेडिट कार्ड बिल और बड़े भुगतान पर नजर

यह भी पढ़े:
Gold Rate आ गई रिपोर्ट, जुलाई में इतने हो जाएंगे 10 ग्राम सोने के भाव Gold Rate

क्रेडिट कार्ड के बड़े बिल का कैश में भुगतान भी आयकर विभाग के रडार पर आता है। यदि किसी व्यक्ति का क्रेडिट कार्ड बिल 1 लाख रुपए या उससे अधिक है और वह इसका भुगतान नकदी में करता है तो बैंक इसकी जानकारी आयकर विभाग को भेजता है। यह नियम इसलिए है क्योंकि बड़े कैश पेमेंट अक्सर अघोषित आय के उपयोग का संकेत देते हैं। सामान्यतः जो लोग वैध आय से बड़े बिल का भुगतान करते हैं वे चेक या डिजिटल माध्यम का उपयोग करते हैं।

क्रेडिट कार्ड कंपनियां नियमित रूप से बड़े कैश पेमेंट की रिपोर्ट आयकर विभाग को भेजती हैं। इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति एक वित्तीय वर्ष में किसी भी माध्यम से कुल मिलाकर 10 लाख रुपए या उससे अधिक का भुगतान करता है तो यह भी निगरानी में आता है। इसमें क्रेडिट कार्ड बिल, लोन की EMI, बीमा प्रीमियम, म्यूचुअल फंड SIP और अन्य सभी प्रकार के भुगतान शामिल हैं। विभाग इन सभी भुगतानों को जोड़कर व्यक्ति की कुल खर्च क्षमता का आकलन करता है और इसे उसकी घोषित आय से मिलाता है।

निगरानी से बचने के बजाय पारदर्शिता अपनाएं

यह भी पढ़े:
Solar Panel Yojana सोलर पैनल सब्सिडी योजना आवेदन शुरू, मात्र 500 जमा करके जिंदगी भर बिजली बिल से छुटकारा पाएं. Solar Panel Yojana

आयकर विभाग की निगरानी से बचने की कोशिश करने के बजाय पारदर्शिता अपनाना हमेशा बेहतर होता है। सभी आय का सही तरीके से disclosure करना, समय पर tax return भरना और सभी financial documents को सुरक्षित रखना सबसे अच्छा तरीका है। यदि आपकी सभी आय legal sources से है और आपने सही तरीके से tax का भुगतान किया है तो किसी भी प्रकार की जांच या नोटिस से डरने की जरूरت नहीं है। वैध कारणों से हुए बड़े लेनदेन के लिए हमेशा उचित दस्तावेज रखें।

यदि कभी आयकर विभाग से नोटिस आए तो घबराने की बजाय शांति से सभी वैध दस्तावेज प्रस्तुत करें। सैलरी स्लिप, बैंक स्टेटमेंट, प्रॉपर्टी के कागजात, बिजनेस रिकॉर्ड और अन्य income proof documents हमेशा व्यवस्थित रूप से रखें। tax consultant की मदद लेना भी एक अच्छा विकल्प है क्योंकि वे tax laws की बेहतर जानकारी रखते हैं। याद रखें कि tax evasion एक गंभीर अपराध है और इसकी भारी सजा हो सकती है। इसलिए हमेशा कानूनी रास्ते पर चलना और अपनी सभी आय की सही रिपोर्टिंग करना सबसे अच्छा है।

Disclaimer

यह भी पढ़े:
Jio 56 Days Recharge Plan जिओ ने शुरू किया 56 दिनों का नया रिचार्ज प्लान, मिलेगा अनलिमिटेड 5G डाटा और कॉलिंग सुविधा Jio 56 Days Recharge Plan

यह जानकारी केवल सामान्य जागरूकता के उद्देश्य से प्रदान की गई है। आयकर के नियम जटिल हैं और समय-समय पर बदलते रहते हैं। किसी भी कर संबंधी मामले के लिए योग्य चार्टर्ड अकाउंटेंट या कर सलाहकार से सलाह लें। सभी वित्तीय लेनदेन में पारदर्शिता बनाए रखें और कानून का सम्मान करें।

Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

Leave a Comment

Join Whatsapp Group