Gold Rate: देश की कीमती धातु सोना इन दिनों अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है और एक लाख रुपये के आंकड़े को पार कर चुका है। यह स्थिति भारतीय बाजार के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है जहां सोना पहली बार इतनी ऊंचाई तक पहुंचा है। घरेलू बाजार में सोने की कीमत 1 लाख 700 रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास पहुंच गई है जो निवेशकों और आम उपभोक्ताओं दोनों के लिए चिंता का विषय बन गया है। यह तेजी केवल भारत में ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी दिखाई दे रही है जहां सोना 3460 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर कारोबार कर रहा है। इस अभूतपूर्व वृद्धि ने पूरे स्वर्ण बाजार की दिशा बदल दी है।
भू-राजनीतिक तनाव का प्रभाव
सोने की कीमतों में इस तेजी का मुख्य कारण मध्य पूर्व में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव हैं जो मुख्य रूप से इजराइल और ईरान के बीच चल रहे संघर्ष से उत्पन्न हुए हैं। दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव और युद्ध की स्थिति ने पूरे क्षेत्र को अस्थिरता में डाल दिया है जिसका सीधा प्रभाव वैश्विक वित्तीय बाजारों पर पड़ रहा है। जब भी दुनिया में अनिश्चितता बढ़ती है तो निवेशक जोखिम भरी संपत्तियों से पैसा निकालकर सुरक्षित निवेश विकल्पों की तलाश करते हैं। सोना हमेशा से ही एक सुरक्षित निवेश माना जाता रहा है इसलिए इस समय निवेशक बड़े पैमाने पर सोने में अपना पैसा लगा रहे हैं जिससे इसकी मांग बढ़ रही है और कीमतें आसमान छू रही हैं।
एक महीने में दस हजार का उछाल
आंकड़ों की बात करें तो एमसीएक्स पर सोने की कीमत अप्रैल के अंत में 99,358 रुपये प्रति दस ग्राम थी जो मई के मध्य में 90,890 रुपये तक गिर गई थी। लेकिन जून के मध्य तक यह तेजी से बढ़कर 1,01,078 रुपये प्रति दस ग्राम पहुंच गई है जो लगभग एक महीने में 10 हजार रुपये से अधिक की वृद्धि दर्शाता है। यह वृद्धि इतनी तेज और अचानक है कि बाजार के विशेषज्ञ भी इससे हैरान हैं। इसी अवधि में चांदी की कीमतों में गिरावट देखी गई है जो 86 रुपये की गिरावट के साथ 1,06,407 रुपये प्रति किलो पर स्थिर है। सोने और चांदी की कीमतों में यह विपरीत दिशा में गति दिखाती है कि निवेशक सोने को अधिक सुरक्षित मान रहे हैं।
घरेलू बाजार की वर्तमान स्थिति
भारतीय घरेलू बाजार में सोने की कीमतों में 1900 रुपये का तगड़ा उछाल आया है जिससे यह पहली बार 1 लाख 70 हजार रुपये प्रति दस ग्राम के आंकड़े को छूने लगा है। यह स्थिति भारतीय स्वर्ण बाजार के इतिहास में एक रिकॉर्ड है और इसने सभी पुराने रिकॉर्डों को तोड़ दिया है। त्योहारी सीजन से पहले यह कीमत वृद्धि भारतीय उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है क्योंकि भारत में सोना केवल निवेश का साधन नहीं बल्कि सांस्कृतिक परंपराओं का भी हिस्सा है। शादी-विवाह और त्योहारों में सोने की खरीदारी अब महंगी हो गई है जिससे मध्यम वर्गीय परिवारों पर आर्थिक दबाव बढ़ा है।
सोना खरीदते समय बरतें सावधानी
इस समय जब सोने की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं तो खरीदारी करते समय विशेष सावधानी बरतना आवश्यक है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सोना खरीदते समय हमेशा हॉलमार्क की जांच करें क्योंकि यही सोने की गुणवत्ता की सरकारी गारंटी है। भारत में सोने की हॉलमार्किंग का काम ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड के द्वारा किया जाता है जो सोने की शुद्धता को प्रमाणित करता है। बिना हॉलमार्क का सोना खरीदना जोखिम भरा हो सकता है क्योंकि इसकी गुणवत्ता की कोई गारंटी नहीं होती। इस समय जब कीमतें इतनी ऊंची हैं तो थोड़ी सी भी मिलावट आपके लिए बड़ा नुकसान बन सकती है।
बाजार विशेषज्ञों की राय और भविष्यवाणी
अंतर्राष्ट्रीय बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि सोने की वर्तमान तेजी स्थायी नहीं है और यह एक अस्थायी स्थिति है जो भू-राजनीतिक तनाव के कारण उत्पन्न हुई है। प्रसिद्ध विश्लेषक जॉन मिल्स की रिपोर्ट के अनुसार जैसे ही मध्य पूर्व की स्थिति सामान्य होगी और युद्ध का डर कम होगा वैसे ही निवेशक फिर से जोखिम भरी संपत्तियों में निवेश करना शुरू कर देंगे। इससे सोने की मांग में कमी आएगी और कीमतें गिरना शुरू हो जाएंगी। युद्ध और राजनीतिक अस्थिरता का प्रभाव आमतौर पर अस्थायी होता है और जब स्थिति सामान्य होती है तो बाजार भी अपनी सामान्य दिशा में लौट जाते हैं।
साल के अंत तक कीमतों का अनुमान
विश्लेषकों का अनुमान है कि साल के अंत तक सोने की कीमतों में महत्वपूर्ण गिरावट देखने को मिल सकती है। बाजार में सोने की आपूर्ति बढ़ने और मांग कम होने से कीमतें 1800 डॉलर प्रति औंस तक गिर सकती हैं जो भारतीय मुद्रा में लगभग 56 हजार रुपये प्रति दस ग्राम के बराबर होगा। यह अनुमान वर्तमान कीमतों से लगभग आधी कीमत दर्शाता है जो आम उपभोक्ताओं के लिए एक बेहद सकारात्मक संकेत है। अगर यह भविष्यवाणी सच होती है तो त्योहारी सीजन तक सोना फिर से आम लोगों की पहुंच में आ जाएगा। हालांकि यह केवल एक अनुमान है और वास्तविक स्थिति कई कारकों पर निर्भर करेगी।
निवेशकों के लिए रणनीति
वर्तमान परिस्थिति में निवेशकों को अपनी रणनीति को लेकर सतर्क रहना चाहिए क्योंकि सोने की कीमतों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव हो रहा है। जो लोग सोने में निवेश करना चाहते हैं उन्हें थोड़ा इंतजार करना चाहिए क्योंकि कीमतों में गिरावट की संभावना है। वहीं जिन्होंने पहले से सोने में निवेश किया है वे अपने मुनाफे को सुरक्षित करने के बारे में सोच सकते हैं। डॉलर कॉस्ट एवरेजिंग की रणनीति अपनाकर निवेशक जोखिम को कम कर सकते हैं जिसमें हर महीने एक निश्चित राशि का निवेश किया जाता है। इससे कीमतों के उतार-चढ़ाव का औसत प्रभाव मिलता है और नुकसान की संभावना कम हो जाती है।
Disclaimer
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है और निवेश सलाह का विकल्प नहीं है। सोने की कीमतों में निरंतर बदलाव होता रहता है और यह कई आर्थिक एवं राजनीतिक कारकों पर निर्भर करता है। कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें। इस लेख में दी गई कीमतें और अनुमान समय के साथ बदल सकते हैं और वास्तविक बाजार की स्थिति अलग हो सकती है। निवेश में जोखिम होता है और पूंजी की हानि की संभावना रहती है।