क्या सरकार जारी करेगी केंद्रीय कर्मचारियों का 18 महीने का डीए एरियर, जानिए लेटेस्ट अपडेट Dearness Allowance

By Meera Sharma

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Dearness Allowance

Dearness Allowance: कोविड-19 महामारी के दौरान देश की आर्थिक स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने एक कठिन निर्णय लेते हुए 18 महीने तक महंगाई भत्ते और महंगाई राहत को रोक दिया था। यह निर्णय उस समय की आर्थिक मजबूरी थी जब सरकार के सामने कोविड से निपटने और लॉकडाउन से प्रभावित अर्थव्यवस्था को संभालने की बड़ी चुनौती थी। हालांकि यह निर्णय आर्थिक दृष्टि से उचित था, लेकिन इसका सीधा प्रभाव केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों पर पड़ा।

अब जब देश की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है और सामान्य हालात लौट रहे हैं, तो केंद्रीय कर्मचारी अपने रुके हुए 18 महीने के महंगाई भत्ते की वापसी की मांग कर रहे हैं। उनका तर्क है कि यह राशि उनका वैध हक है और महामारी की समाप्ति के बाद इसका भुगतान किया जाना चाहिए। कर्मचारी संघों का कहना है कि इस अवधि में भी महंगाई बढ़ी है और उनकी खरीदारी शक्ति प्रभावित हुई है।

राष्ट्रीय परिषद की 63वीं बैठक में उठे मुद्दे

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राष्ट्रीय परिषद की स्थायी समिति की 63वीं बैठक में केंद्रीय कर्मचारियों से जुड़े कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई। इस बैठक में महंगाई भत्ते के 18 महीने के बकाया भुगतान का मुद्दा प्रमुखता से उठा। शिवगोपाल मिश्रा और एम. राघवैया जैसे वरिष्ठ कर्मचारी नेताओं ने इस मामले को मजबूती से उठाया और सरकार से तत्काल भुगतान की मांग की। उन्होंने तर्क दिया कि कर्मचारियों ने कोविड काल में भी अपनी सेवाएं निरंतर दी हैं और अब उन्हें उनके वैध हकों से वंचित नहीं रखा जाना चाहिए।

बैठक में कर्मचारी प्रतिनिधियों ने यह भी कहा कि महंगाई भत्ता केवल एक अतिरिक्त लाभ नहीं बल्कि बढ़ती महंगाई के मुकाबले कर्मचारियों की खरीदारी शक्ति को बनाए रखने का एक जरिया है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि इस एरियर का भुगतान करके कर्मचारियों के मनोबल को बढ़ाया जाए। कर्मचारी संघों का यह भी कहना था कि यदि तत्काल पूरा भुगतान संभव नहीं है तो इसे चरणबद्ध तरीके से किया जा सकता है।

वित्त मंत्रालय का स्पष्ट रुख और तर्क

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वित्त मंत्रालय ने इस मामले पर अपना पुराना रुख दोहराते हुए स्पष्ट कर दिया है कि 18 महीने के महंगाई भत्ते का भुगतान फिलहाल संभव नहीं है। मंत्रालय का तर्क है कि कोविड महामारी के दौरान सरकार ने कल्याणकारी योजनाओं पर भारी खर्च किया था और इसका प्रभाव वित्तीय वर्ष 2020-21 के बाद भी महसूस किया गया। सरकार के अनुसार उस समय लिए गए निर्णय आर्थिक मजबूरी के कारण थे और वर्तमान में भी वित्तीय स्थिति इतनी मजबूत नहीं है कि इस अतिरिक्त बोझ को उठाया जा सके।

मंत्रालय ने यह भी कहा है कि सरकार की प्राथमिकताएं अलग हैं और वित्तीय संसाधनों का बेहतर उपयोग विकास कार्यों और जनकल्याण की योजनाओं में किया जा रहा है। सरकार का मानना है कि कोविड काल में लिया गया निर्णय सही था और उस समय की परिस्थितियों में यह अपरिहार्य था। हालांकि सरकार कर्मचारियों की समस्याओं को समझती है लेकिन वर्तमान में इस एरियर का भुगतान राजकोषीय अनुशासन के विपरीत होगा।

आठवें वेतन आयोग पर हुई चर्चा और प्रगति

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बैठक में आठवें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन और इसके संदर्भ शर्तों पर भी विस्तृत चर्चा हुई। कर्मचारी प्रतिनिधियों ने सरकार से आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की शीघ्र नियुक्ति का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि वेतन आयोग के गठन में हो रही देरी से कर्मचारियों में निराशा बढ़ रही है। सरकार ने इस संबंध में आश्वासन दिया कि कुछ सदस्यों की नियुक्ति के लिए अधिसूचना जारी हो चुकी है और शेष प्रक्रिया जल्द पूरी की जाएगी।

कर्मचारी संघों की मांग है कि आठवां वेतन आयोग समय पर यानी 1 जनवरी 2026 से लागू हो और यदि इसमें कोई देरी होती है तो एरियर के साथ भुगतान किया जाए। उन्होंने सरकार से यह भी आग्रह किया कि वेतन आयोग के संदर्भ शर्तों में कर्मचारियों की वर्तमान जरूरतों और महंगाई दर को ध्यान में रखा जाए। आयोग के गठन में देरी को लेकर कर्मचारी चिंतित हैं क्योंकि सातवें वेतन आयोग की अवधि 31 दिसंबर 2025 को समाप्त हो रही है।

केंद्रीय कर्मचारी बीमा योजना का नया प्रस्ताव

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बैठक में एक महत्वपूर्ण विकास केंद्रीय सरकारी कर्मचारी समूह बीमा योजना को लेकर हुआ। व्यय विभाग ने इस योजना में संशोधन का एक नया प्रस्ताव तैयार किया है जिसे जल्द ही कर्मचारी पक्ष के साथ साझा किया जाएगा। यह योजना कर्मचारियों और उनके परिवारों को बेहतर बीमा कवरेज प्रदान करने के लिए डिजाइन की गई है। नए प्रस्ताव में बीमा राशि में वृद्धि और कवरेज का विस्तार शामिल हो सकता है।

कर्मचारी संघों का मानना है कि यह एक सकारात्मक कदम है जो कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा को मजबूत बनाएगा। हालांकि वे चाहते हैं कि इस नई योजना के साथ-साथ उनकी पुरानी मांगों पर भी ध्यान दिया जाए। बीमा योजना में सुधार की यह पहल दिखाती है कि सरकार कर्मचारी कल्याण के लिए नई योजनाओं पर काम कर रही है। इस नए प्रस्ताव की विस्तृत जानकारी मिलने के बाद ही इसके फायदों का सही आकलन हो सकेगा।

कर्मचारियों की भविष्य की रणनीति और उम्मीदें

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महंगाई भत्ते के एरियर की मांग को लेकर कर्मचारी संघ निराश हैं लेकिन वे अपनी मांग को छोड़ने को तैयार नहीं हैं। वे इस मुद्दे को लगातार उठाते रहेंगे और सरकार पर दबाव बनाते रहेंगे। उनकी रणनीति यह है कि यदि तत्काल पूरा भुगतान संभव नहीं है तो कम से कम चरणबद्ध भुगतान की शुरुआत की जाए। कर्मचारी संघों का मानना है कि यह मुद्दा न्याय का है और सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए।

साथ ही कर्मचारी आठवें वेतन आयोग से बड़ी उम्मीदें लगाए हुए हैं। वे चाहते हैं कि नया वेतन आयोग न केवल वेतन में बल्कि भत्तों में भी महत्वपूर्ण वृद्धि करे। उनकी उम्मीद है कि फिटमेंट फैक्टर उच्च हो ताकि महंगाई की भरपाई हो सके। कर्मचारी संघ यह भी चाहते हैं कि नई बीमा योजना में उनकी सभी जरूरतों को शामिल किया जाए और प्रीमियम उचित रखा जाए।

Disclaimer

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यह लेख विभिन्न सरकारी स्रोतों और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। महंगाई भत्ते के एरियर और आठवें वेतन आयोग के संबंध में सभी जानकारी वर्तमान स्थिति के अनुसार है। भविष्य में सरकारी नीतियों में बदलाव हो सकता है। सटीक और अद्यतन जानकारी के लिए आधिकारिक सरकारी घोषणाओं की प्रतीक्षा करें।

Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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