बैंक अकाउंट में रख सकते हैं इतना पैसा, लिमिट क्रोस होते ही आ जाएगा इनकम टैक्स का नोटिस Bank Account Rule

By Meera Sharma

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Bank Account Rule

Bank Account Rule: आज के डिजिटल युग में बैंक अकाउंट हर व्यक्ति की मूलभूत आवश्यकता बन गया है। चाहे वह वेतन पाना हो, बिल का भुगतान करना हो या फिर ऑनलाइन शॉपिंग करनी हो, सभी कामों के लिए बैंक अकाउंट की जरूरत होती है। अधिकांश लोग अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा सेविंग अकाउंट में ही रखते हैं क्योंकि यह सुरक्षित और आसानी से उपलब्ध होता है। लेकिन कई लोगों को यह नहीं पता होता कि सेविंग अकाउंट में पैसे रखने से जुड़े कुछ नियम और सीमाएं हैं। इन नियमों की जानकारी न होने के कारण कभी-कभी लोगों को आयकर विभाग से नोटिस भी आ सकता है।

बैंकिंग सिस्टम में पारदर्शिता बनाए रखने और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी गतिविधियों को रोकने के लिए सरकार और आरबीआई ने कई नियम बनाए हैं। इन नियमों का उद्देश्य वित्तीय अपराधों को रोकना और टैक्स की चोरी पर नियंत्रण रखना है। हर बैंक अकाउंट होल्डर को इन नियमों की जानकारी होनी चाहिए ताकि वे किसी भी कानूनी परेशानी से बच सकें। आइए जानते हैं कि सेविंग अकाउंट में पैसे जमा करने की क्या सीमाएं हैं और किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

आरबीआई की तरफ से कोई जमा सीमा नहीं

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भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने सेविंग अकाउंट में अधिकतम राशि जमा करने की कोई विशिष्ट सीमा निर्धारित नहीं की है। इसका मतलब यह है कि तकनीकी रूप से कोई भी व्यक्ति अपने सेविंग अकाउंट में चाहे जितना पैसा रख सकता है। यह पूरी तरह से व्यक्ति की वित्तीय स्थिति और संबंधित बैंक की नीति पर निर्भर करता है। कुछ बैंक अपने प्रीमियम अकाउंट होल्डर्स के लिए अधिक राशि रखने की सुविधा देते हैं जबकि रेगुलर सेविंग अकाउंट में भी कोई निर्धारित अधिकतम सीमा नहीं होती। हालांकि व्यावहारिक रूप से बैंक बहुत बड़ी राशि सेविंग अकाउंट में रखने की सलाह नहीं देते।

यद्यपि कोई आधिकारिक सीमा नहीं है फिर भी बैंक अपने ग्राहकों को सुझाव देते हैं कि वे अपनी दैनिक जरूरतों के लिए ही सेविंग अकाउंट का उपयोग करें। बड़ी राशि के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट, रिकरिंग डिपॉजिट या अन्य निवेश विकल्पों का चुनाव करना बेहतर होता है। इससे न केवल बेहतर रिटर्न मिलता है बल्कि वित्तीय योजना भी अधिक व्यवस्थित हो जाती है। सेविंग अकाउंट में केवल आपातकालीन फंड और दैनिक खर्च के लिए पर्याप्त राशि रखना एक अच्छी वित्तीय रणनीति मानी जाती है।

दस लाख रुपये की कैश डिपॉजिट रिपोर्टिंग

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सेविंग अकाउंट में राशि जमा करने के संबंध में एक महत्वपूर्ण नियम यह है कि यदि आप एक वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपये या उससे अधिक नकद राशि जमा करते हैं तो बैंक इसकी जानकारी आयकर विभाग को देना बाध्य है। यह नियम न केवल सेविंग अकाउंट पर लागू होता है बल्कि फिक्स्ड डिपॉजिट में भी 10 लाख या अधिक की राशि जमा करने पर यही नियम लागू होता है। यह रिपोर्टिंग स्वचालित होती है और बैंक को यह जानकारी अनिवार्य रूप से टैक्स विभाग के साथ साझा करनी पड़ती है। इसका उद्देश्य बड़े नकद लेनदेन पर नजर रखना और कर चोरी को रोकना है।

इस नियम के तहत बैंक आपकी व्यक्तिगत जानकारी, जमा की गई राशि और लेनदेन की तारीख की रिपोर्ट तैयार करता है। यह रिपोर्ट आयकर विभाग के पास जाती है जहां इसका विश्लेषण किया जाता है। यदि आपकी घोषित आय और बैंक में जमा राशि के बीच बड़ा अंतर हो तो आयकर विभाग आपसे स्पष्टीकरण मांग सकता है। इसलिए हमेशा अपने पास उन सभी दस्तावेजों को रखें जो आपकी आय के स्रोत को साबित करते हैं। वेतन स्लिप, बिजनेस रिकॉर्ड, निवेश से मिलने वाली राशि आदि के प्रमाण हमेशा सुरक्षित रखें।

सेविंग अकाउंट के ब्याज पर टैक्स नियम

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सेविंग अकाउंट से मिलने वाले ब्याज पर भी टैक्स के नियम लागू होते हैं। यदि किसी वित्तीय वर्ष में आपके सेविंग अकाउंट से मिलने वाला ब्याज 10,000 रुपये से अधिक हो जाता है तो यह टैक्सेबल इनकम माना जाता है और इस पर आयकर देना पड़ता है। यह राशि आपकी कुल आय में जोड़ी जाती है और आपकी इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगता है। अधिकांश सेविंग अकाउंट में ब्याज दर 2.5 से 4 प्रतिशत के बीच होती है इसलिए 10,000 रुपये ब्याज पाने के लिए आपके खाते में करीब 2.5 से 4 लाख रुपये तक का औसत बैलेंस रखना पड़ता है।

हालांकि 60 साल से अधिक उम्र के सीनियर सिटीजन के लिए यह सीमा 50,000 रुपये तक बढ़ा दी गई है। इसका मतलब यह है कि सीनियर सिटीजन को 50,000 रुपये तक के ब्याज पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता। यह छूट सरकार की तरफ से बुजुर्गों को दी गई एक विशेष सुविधा है। टैक्स रिटर्न भरते समय ब्याज की राशि को अपनी आय में दिखाना जरूरी होता है। यदि आपका कुल टैक्स 10,000 रुपये से अधिक हो तो बैंक आपके ब्याज से TDS भी काट सकता है।

आयकर विभाग से नोटिस आने की स्थितियां

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यदि आपके सेविंग अकाउंट में जमा राशि आपकी घोषित आय के अनुपात में बहुत अधिक है तो आयकर विभाग आपसे स्पष्टीकरण मांग सकता है। उदाहरण के लिए यदि आपकी सालाना आय 5 लाख रुपये है लेकिन आपके बैंक अकाउंट में 20-25 लाख रुपये का बैलेंस है तो यह संदिग्ध लग सकता है। ऐसी स्थिति में टैक्स विभाग आपसे पूछ सकता है कि इतनी बड़ी राशि का स्रोत क्या है। इसके लिए आपके पास उचित दस्तावेज होने चाहिए जैसे कि पैतृक संपत्ति की बिक्री, गिफ्ट से मिली राशि, पुराने निवेश से मिलने वाली राशि आदि के प्रमाण। यदि आप अपनी आय के स्रोत को उचित दस्तावेजों के साथ साबित कर देते हैं तो कोई समस्या नहीं होती।

कभी-कभी विदेश से आने वाली राशि, बीमा की मैच्योरिटी, या लॉटरी जीतने पर भी बड़ी राशि अकाउंट में आ सकती है। इन सभी मामलों में उचित दस्तावेज रखना जरूरी है। लंबे समय तक बिना किसी ट्रांजेक्शन के बड़ी राशि का पड़ा रहना भी संदिग्ध लग सकता है। इसलिए बेहतर है कि अतिरिक्त राशि को उचित निवेश विकल्पों में लगाया जाए। आयकर विभाग का मुख्य उद्देश्य कर चोरी को रोकना है इसलिए यदि आपके पास सभी कागजात सही हैं तो परेशान होने की जरूरत नहीं है।

सेविंग अकाउंट में अधिक राशि रखने के नुकसान

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सेविंग अकाउंट में जरूरत से अधिक राशि रखना वित्तीय दृष्टि से नुकसानदायक हो सकता है। सेविंग अकाउंट पर मिलने वाला ब्याज आमतौर पर बहुत कम होता है जो महंगाई दर से भी कम होता है। इसका मतलब यह है कि समय के साथ आपकी राशि की वास्तविक क्रय शक्ति कम हो जाती है। फिक्स्ड डिपॉजिट, पब्लिक प्रोविडेंट फंड, म्यूचुअल फंड या अन्य निवेश विकल्प बेहतर रिटर्न दे सकते हैं। सेविंग अकाउंट में केवल उतनी राशि रखें जितनी आपकी तत्काल जरूरतों के लिए आवश्यक है। आपातकालीन फंड के रूप में 6-12 महीने के खर्च के बराबर राशि रखना पर्याप्त माना जाता है।

बड़ी राशि सेविंग अकाउंट में रखने से एक और नुकसान यह है कि यह आसानी से खर्च हो सकती है। जब पैसा तुरंत उपलब्ध होता है तो अनावश्यक खर्च करने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। वित्तीय अनुशासन बनाए रखने के लिए अतिरिक्त राशि को अलग-अलग निवेश विकल्पों में बांटना बेहतर होता है। इससे न केवल बेहतर रिटर्न मिलता है बल्कि वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी मदद मिलती है। सही वित्तीय योजना बनाकर आप अपने पैसे को अधिक प्रभावी तरीके से काम में ला सकते हैं।

Disclaimer

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यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से तैयार किया गया है। बैंकिंग नियम, टैक्स कानून और नीतियां समय के साथ बदल सकती हैं। व्यक्तिगत वित्तीय निर्णय लेने से पहले कृपया अपने बैंक, चार्टर्ड अकाउंटेंट या टैक्स सलाहकार से सलाह लें। आयकर संबंधी नियमों के लिए आधिकारिक आयकर विभाग की वेबसाइट से पुष्टि करें। यह लेख पेशेवर वित्तीय सलाह का विकल्प नहीं है।

Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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